5जी टेक्नोलॉजी का कोविड-19 संक्रमण से नहीं है कोई संबंध

5जी मोबाइल टावरों से किए जा रहे परीक्षण को बताया जा रहा है। संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने हाल में एक वक्तव्य जारी करके ऐसे सभी संदेशों को भ्रामक एवं असत्य करार देते हुए स्पष्ट रूप से कहा है कि 5जी प्रौद्योगिकी और कोविड-19 संक्रमण के फैलाव में कोई संबंध नहीं है।

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नई दिल्ली, 13 मई – विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर इन दिनों कई भ्रामक संदेश फैल रहे हैं, जिनमें कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कारण 5जी मोबाइल टावरों से किए जा रहे परीक्षण को बताया जा रहा है। संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने हाल में एक वक्तव्य जारी करके ऐसे सभी संदेशों को भ्रामक एवं असत्य करार देते हुए स्पष्ट रूप से कहा है कि 5जी प्रौद्योगिकी और कोविड-19 संक्रमण के फैलाव में कोई संबंध नहीं है।

दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने कहा है कि 5जी प्रौद्योगिकी को कोविड-19 वैश्विक महामारी से जोड़ने वाले दावे भ्रामक हैं, और उनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। डीओटी ने यह भी सूचित किया है कि अभी तक भारत में 5जी नेटवर्क कहीं भी शुरू नहीं हुआ है। अतः यह दावा आधारहीन है कि भारत में कोरोना वायरस 5जी के परीक्षण अथवा इसके नेटवर्क के कारण फैला है। डीओटी की ओर से जारी वक्तव्य में जनसामान्य से अनुरोध किया गया है कि वे इस बारे में फैलायी रही असत्य एवं गलत सूचनाओं एवं अफवाहों से भ्रमित न हों।

डीओटी के वक्तव्य में बताया गया है कि मोबाइल टावरों से बहुत कम क्षमता की नॉन-आयोनाइजिंग रेडियो तरंगें उत्सर्जित होती हैं, जो मनुष्य समेत अन्य जीवों को किसी भी प्रकार की हानि पहुँचाने में अक्षम होती हैं। दूरसंचार विभाग ने रेडियो आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) क्षेत्र (आधार स्टेशन उत्सर्जन) से उत्पन्न खतरे (एक्सपोजर) की सीमा के लिए जो मानक निर्धारित किए हैं, वे नॉन- आयोनाइजिंग विकिरण सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय आयोग (इंटरनेशनल कमीशन ऑन नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन प्रोटेक्शन-आईसीएनआईआरपी) द्वारा निर्धारित और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुमोदित सुरक्षा सीमाओं से 10 गुना अधिक कड़े हैं।

वक्तव्य में कहा गया है कि डीओटी की एक सुगठित प्रणाली है ताकि इन निर्धारित मानकों का कड़ाई से पालन को सुनिश्चित किया जा सके। इसके बावजूद, यदि किसी नागरिक को यह आशंका होती है कि किसी मोबाइल टावर से विभाग द्वारा निर्धारित सुरक्षित मानकों से अधिक रेडियो तरंगों का उत्सर्जन हो रहा है, तो https://tarangsanchar.gov.in/emfportal के  तरंग संचार पोर्टल पर ईएमएफ मापन/परीक्षण के लिए लिखित अनुरोध किया जा सकता है। मोबाइल टावरों से होने वाले विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र (इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड–ईएमएफ) उत्सर्जन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों से जनसामान्य की आशंकाओं के निवारण के लिए दूरसंचार विभाग की ओर से लोगों में ईएमएफ विकिरण के बारे में वैज्ञानिक जागरूकता के प्रसार की दिशा में बहुत-से कदम उठाए जा रहे हैं। इनमें राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान, ईएमएफ से जुड़े विभिन्न विषयों पर इश्तहारों/सूचना ब्रोशर्स का वितरण, डीओटी की वेबसाइट पर ईएमएफ से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत सूचनाओं का प्रकाशन, समाचार-पत्रों में विज्ञापन, और “तरंग समाचार’’ पोर्टल शुरू करना शामिल है।  (इंडिया साइंस वायर)